गुलगंज किला राज्य के उत्तरी भाग में स्थित है, जो अपने विरासत स्मारकों, किलों, महलों, मंदिरों और स्मारकों के लिए लोकप्रिय है। यह एक पहाड़ी की चोटी पर बना किला है, जो लंबी दूरी से दिखाई देता है। इसका विकास बुंदेली वास्तुकला में बुंदेला क्षेत्र में बुंदेला शासकों के शासनकाल के दौरान हुआ था। इसका निर्माण 18वीं शताब्दी के आसपास शासक सावंत सिंह ने करवाया था। इसका नाम गुलगंज उनकी पत्नी गुल बाई के नाम से लिया गया प्रतीत होता है।
लोगों का कहना है कि बिजावर महराज ने अपने खजाना को इस किले में सुरक्षित छुपाया था। राजा सावंत सिंह ने अपनी पत्नी गुलबाई को ये गांव और किला उपहार स्वरूप दे दिया था। बाद में गुलबाई के नाम पर ही इसका नाम गुलगंज पड़ा। आज भी गुलबाई की आत्मा इस किले के खजाने की रक्षा करती है और किसी की बुरी नज़र किले पर नहीं पड़ने देती।