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तस्वीरों में: छतरपुर के इस किले को देखने के लिए दूर-दराज से आते हैं पर्यटक, आज भी यहां रहती हैं ‘रानी’

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श्रेया न्यूज़ ,
छतरपुर . 14 May 2024 01:35 pm.padma mishra

Tourists come from far and wide to see Gulganj Fort of Chhatarpur see photosमध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में घूमने लायक कई जगह हैं। इसमें सबसे खास खजुराहो के मंदिर हैं। इसके अलावा गुलगंज किला अपने आप में ऐतिहासिक विरासत को संजोए हुए है। दूर-दूर से पर्यटक इस किले को देखने के लिए आते हैं।

Tourists come from far and wide to see Gulganj Fort of Chhatarpur see photos

छतरपुर मुख्यालय से 39 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 86 पर अनगौर के नज़दीक गुलगंज किला स्थित है। गुलगंज पहाड़ी के शिखर पर स्थित 400 साल पुराना किला है। ये किला बुंदेली स्थापत्य और वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा संरक्षित स्मारक ये किला बिजावर महराज द्वारा बनवाया गया था।

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बिजावर से मात्र साढ़े 14 किलोमीटर दूरी पर स्थित इस किले का निर्माण रक्षा शैली पर आधारित है। मुख्य किला दो आंगन में विभक्त है। किले में दो द्वार भी हैं। किले में अनेक भूमिगत कैमरे और गुप्त सुरंग भी है, जो किले से बाहर ले जाती है।

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गुलगंज किला राज्य के उत्तरी भाग में स्थित है, जो अपने विरासत स्मारकों, किलों, महलों, मंदिरों और स्मारकों के लिए लोकप्रिय है। यह एक पहाड़ी की चोटी पर बना किला है, जो लंबी दूरी से दिखाई देता है। इसका विकास बुंदेली वास्तुकला में बुंदेला क्षेत्र में बुंदेला शासकों के शासनकाल के दौरान हुआ था। इसका निर्माण 18वीं शताब्दी के आसपास शासक सावंत सिंह ने करवाया था। इसका नाम गुलगंज उनकी पत्नी गुल बाई के नाम से लिया गया प्रतीत होता है।

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लोगों का कहना है कि बिजावर महराज ने अपने खजाना को इस किले में सुरक्षित छुपाया था। राजा सावंत सिंह ने अपनी पत्नी गुलबाई को ये गांव और किला उपहार स्वरूप दे दिया था। बाद में गुलबाई के नाम पर ही इसका नाम गुलगंज पड़ा। आज भी गुलबाई की आत्मा इस किले के खजाने की रक्षा करती है और किसी की बुरी नज़र किले पर नहीं पड़ने देती।

 

Shreya News
Author: Shreya News

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